तेरी पलक जो झुक गयी तो शाम हो गयी,
तेरी झलक जो दिख गयी तो भोर हो गयी.
तेरी हसीं हसी से मै हो गया दीवाना,
ऐसे छलक जो तू गयी तो दोपहर हुई.
तेरी जफ़ाओं के साए में जिंदगी,
मेरा फलक जो वो हुई तो रात हो गयी.
तनहाइयों में तो मेरे कुर्बत जो हो तेरी,
सासों तलक जो तू चली तो रूह धुल गयी.
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सारंग भणगे. (१७ फेब्रुवारी २०१२)
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